शीतली प्राणायाम के फायदे, जानें करने का तरीका और सावधानियां

सेहतराग टीम

आज के समय में कई तरह की समस्याएं होती हैं। उनको ठीक करने के लिए अगर हम रोजाना योग करें तो तकरीबन सभी बीमारी ठीक हो जाती हैं। तरह-तरह के योग होते हैं जो हमारे शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर करते हैं। ऐसे ही एक है शीतली प्राणायाम, जो हमारे शरीर को ठंडक प्रदान करता है। यह प्राणायाम एक छायादार वृक्ष की तरह है जो भरपूर ऑक्सीजन का निर्माण करता है।

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शीतली का मतलब है शीतल। इसका अर्थ शांत, विरक्त और भावहीन भी होता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह प्राणायाम पूरे शरीर को शीतल करता है। शीतकारी प्राणायाम की तरह ही यह प्राणायाम भी विशेष तौर पर शरीर का ताप कम करने के लिए बनाया गया है। इस प्राणायाम का अभ्यास न सिर्फ भौतिक शरीर को शीतल करता है बल्कि मस्तिष्क को भी शांत करता है। इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज़्यादा से ज़्यादा करना चाहिए और सर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करना चाहिए।

शीतली प्राणायाम करने की विधि (Sheetali Pranayama Steps in Hindi):

  • सबसे पहले आप समतल जमीन पर कोई दरी या आसन बिछा कर उस पर सिद्धासन, सुखासन की अवस्था में बैठ जाएँ।
  • अब अपनी जीभ को बहार निकालकर उसे मोड़ कर पाइप जैसा बना लें।
  • अब उस बहार निलकी हुई जीभ के माध्यम से लम्बी व् गहरी स्वांस धीरे-धीरे खींचकर अपने पेट में वायु को भर दें।
  • अब अपनी बहार निकली हुई जीभ को अन्दर कर लें और अपने मुहं को बंद कर लें।
  • अब अपनी गर्दन को आगे की ओर झुकाकर अपने जबड़े के अगले हिस्से छाती से लगा लें।
  • अब अपने स्वांस को नासिका मतलब नाक के जरिये स्वांस को बाहर निकाल दें  ध्यान रखें की आपको सांस एक साथ बहार नहीं निकालना है बल्कि धीरे -धीरे बहार निकालना है।
  • अब इस क्रिया को कम से कम 25-30 बार तक दोहोराएं।

शीतली प्राणायाम के लिए समय (Best Time for Sheetali Pranayama in Hindi):

अगर आपने ये प्राणायाम करना अभी शुरू ही किया है तो आप इसका अभ्यास आप 5-7 मिनट तक ही करें क्यूंकि इस प्राणायाम की समय अविधि एक साथ नहीं बढ़ानी चाहिए।

सुबह और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। एक सामान्य व्यक्ति को शीतली प्राणायाम शुरुआत में पांच से सात बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे बढ़ा देना चाहिए।

शीतली प्राणायाम से होने वाले लाभ (Sheetali Pranayama Benefits in Hindi):

1- गर्मी में फायदेमंद:

जब इस प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है तो यह हमारे शरीर से गर्म वायु को निकाल कर उसमें शीतल वायु का प्रवेश कराता है जिससे हमारे शरीर से गर्मी बहार निकल जाती है और पूरा शरीर ठंडा हो जाता है।

2- पाचन क्रिया में:

शीतली प्राणायाम का अभ्यास पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है।

3- ह्रदय रोगों में:

शीतली प्राणायाम के अभ्यास से हम ह्रदय के ज्यादातर सभी रोगों को नष्ट कर सकते हैं।

4- ब्लड प्रेशर:

अगर आपका BP या Blood Pressure (रक्तचाप ) बढ़ा हुआ है तो आप शीतली प्राणायाम का अभ्यास करके हाई ब्लड प्रेशर(उच्च रक्तचाप) को कम कर सकते हैं।

5- अधिक प्यास:

अगर हम शीतली प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करते हैं तो कुछ ही दिनों में शरीर में हुई पानी की कमी की समस्या ठीक हो जाती है।

6- चेहरे पर चमक:

शीतली प्राणायाम के अभ्यास से हम अपने चेहरे पर प्राक्रतिक चमक ला सकते हैं।

7- चंचलता को करे कम:

शीतली प्राणायाम का अभ्यास करके हम मष्तिक और भावनात्मक उत्तेजना तथा मन की चंचलता को कम कर सकते हैं।

8- भूख प्यास पर नियंत्रण:

शीतली प्राणायाम के अभ्यास से भूख-प्यास पर नियंत्रण प्राप्त होता है।

9- आंखों की समस्या: 

अगर कोई भी व्यक्ति इस प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास करता है तो वो अपनी आखों की समस्या से जल्द ही छुटकारा पा सकता है।

10- नीद से निजात:

अगर आपको नीद की समस्या है तो आप इस प्राणायम के अभ्यास से नीद न आने की समस्या से निजात पा सकते हैं।

शीतली प्राणायाम करते समय सावधानी (Sheetali Pranayama Precautions in Hindi):

  • शीतली प्राणायाम सुबह -सुबह खाली पेट करना चाहिए।
  • इस प्रणायाम का अभ्यास सर्दियों के मौसम में नहीं करना चाहिए।
  • जिन लोगों को दमा, कफ, खांसी की सिकायत हैं उन लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • लो ब्लडप्रेशर से ग्रसित लोगों को ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • प्रदूषित जगह में इस प्राणायाम का अभ्यास न करें।
  • इसका अभ्यास पूरा होने के बाद कुछ देर विश्राम करें।
  • शीतली प्राणायाम के समय साँस लयबद्ध और गहरी होना चाहिए।

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